Tuesday, October 8, 2013

दूरी

बढती जा रही है
दूरी..
हर रोज 
शहरों की
गाँव से !

हो रहा है
अलग 
हर रोज 
एक सगा 
अपने ही दूसरे से !

मैंने कई बार 
ऐसा सुना है
शहरी स्कूलों के बच्चे
गाँव में
बस रहे भाई को
ड्राईवर का सगा बता रहे थे !

Copyright@संतोष कुमार "सिद्धार्थ", २०१३


6 comments:

  1. सोचने वाली बात है ये , लेकिन तंत्र ही ऐसा है कि ये होना ही है

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  2. अति-आधुनिक मानसिकता कई बार सोंचने पर विवश करती है , पर ये हो रहा है !

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  3. ओह! ताज्जुब होता है ऐसी मानसिकता पर..

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  4. दिखावे के मारे है सारे....
    दुखद है!!!

    अनु

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  5. कड़वी सच्चाई

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बताएं , कैसा लगा ?? जरुर बांटे कुछ विचार और सुझाव भी ...मेरे अंग्रेजी भाषा ब्लॉग पर भी एक नज़र डालें, मैंने लिखा है कुछ जिंदगी को बेहतर करने के बारे में --> www.santoshspeaks.blogspot.com .