Wednesday, July 13, 2011

ओ लाजवंती !

क्यूँ है तेरा ये नाम
ओ री! लाजवंती
शर्मो-हया की प्रतिमूर्ति

किसने चाहा है
तुझे इतना,
और क्यूँ तू..
बस स्पर्श से ही
इतना शरमाती.

क्यों न ,
औरों की तरह
संग हवा के
इतलाती.. इतराती.

ज़रा बता तो..
किस प्रीतम के
अहसास से है
तुझे इतनी.. लाज आती.

१२.०५.१९९८

1 comment:

  1. Daddy.. When did you started writing Poetry.. Can you teach me how to write poetry?

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बताएं , कैसा लगा ?? जरुर बांटे कुछ विचार और सुझाव भी ...मेरे अंग्रेजी भाषा ब्लॉग पर भी एक नज़र डालें, मैंने लिखा है कुछ जिंदगी को बेहतर करने के बारे में --> www.santoshspeaks.blogspot.com .